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मार्च, २०१३ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

... अच्छा हुआ

अब के अकाल रहा, अच्छा हुआ जीना मुहाल रहा, अच्छा हुआ कुछ ना अवाम कहें, अच्छा नहीं थोड़ा बवाल रहा, अच्छा हुआ कोई जवाब मिले या ना मिले कोई सवाल रहा, अच्छा हुआ सब के जवाब दिए सरकार ने मेरा सवाल रहा, अच्छा हुआ कोई मुराद पुरी करते अभी थोड़ा मलाल रहा, अच्छा हुआ राहत मिलें न मिलें, चर्चा रहा भाषण कमाल रहा, अच्छा हुआ ’अपने नसीब खिले’ , उसने कहा, ’ अब के अकाल रहा, अच्छा हुआ’ --- पुणे, १८ मार्च, २०१३